Budha Purnima । बुध पूर्णिमा

वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता हैं। वैशाख पूर्णिमा को ही महात्मा बुद्ध का जन्म भी हुआ था और इसी दिन उनका निर्वाण भी हुआ था और इसी शुभ दिन महात्मा बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति भी हुई थी इसलिए इस दिन का विशेष महत्व है।

गृह त्यागने के पश्चात् ज्ञान के उच्चतम शिखर को प्राप्त करने के लिए सात वर्षों तक वनों में इधर उधर भटके और इस दौरान इन्होंने जीवन को समझा व कठोर साधना करी तत्पश्चात् वैशाख पूर्णिमा के दिन बोधगया जोकि बिहार में स्थित है वहाँ बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें बुद्ध तत्व का ज्ञान हुआ और तभी से इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा के रुप में जाना जानें लगा व बौध धर्म को मानने वाले लोग इसे एक आध्यात्मिक त्योहार के रुप में मनाने लगे।

बुद्ध से एक मंत्र को मुख्य रुप से जोड़ा जाता है और यह कहा जाता है कि यह बौध धर्म से सम्बन्धित है जोकि इस प्रकार है.

ॐ मणिपद्मे हुम्

लेकिन यदि इस मंत्र को समझें तो इसका अर्थ है ॐ जो सत्य स्वरुप है जो निराकार है और इस पूरी सृष्टि के मूल में व्याप्त है वह एक दुर्लभ मणि अर्थात् आभूषण है जो इस सृष्टि के अन्य सभी आभूषणों का त्याग करने के पश्चात् धारण करने योग्य सर्वोपरि आभूषण है, पद्म का अर्थ कमल से होता है जोकि आध्यात्मिक विकास की उच्चतम स्थिति को दर्शाता है, और अन्त में हूम् लगाया गया है यह एक रक्षात्मक तांत्रिक मंत्र है जिसका अर्थ है हमारी रक्षा हो।

अब यदि साधारण शब्दों में समझें तो इसका भावार्थं यह है कि ॐ रुपी मणि हमारे ज्ञान कमल (सहस्रार चक्र) का विकास करें व इस अवधि में हमारी रक्षा हो।

आप सभी को बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं।

गुरु राहुलेश्वर
भाग्य मंथन

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