Mahalaxmi Gayatri Mantra । महालक्ष्मी गायत्री मंत्र

शुक्रवार का दिन शुक्र ग्रह के अधिपत्य में आता है और इस दिन की अधिष्टात्री देवी माता महालक्ष्मी है। कई लोग महालक्ष्मी का नाम आते बस उनको धन और बहुमूल्य आभूषणों से जोड़ कर देखते है लेकिन यह माता महालक्ष्मी के सम्बन्ध में काफी कम जानकारी होने के कारण सामने आने वाले तथ्य है। महालक्ष्मी का पूजन मुख्य रुप से अष्ट महालक्ष्मी के रुप में किया जाता है। जिससे जीवन के प्रत्येक हिस्से में जीव सुखी रहे व उसे जीवनयापन में कोई समस्या न आयें।

माता अष्टलक्ष्मी सभी रुपों के साथ हमारे जीवन को अपना आर्शिवाद प्रदान करें इसके लिए महालक्ष्मी के गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। इस मंत्र के नियमित रुप से जाप करने से माता महालक्ष्मी प्रसन्न रहती है जिससे जीव का जीवन पाना सार्थक हो पाता है।

महालक्ष्मी गायत्री मंत्रः

ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥

अर्थः ब्रह्म शक्ति स्वरुप महालक्ष्मी जो कि ब्रह्म स्वरुप विष्णु की पत्नी है हम उनका ध्यान करते है वह हमारे जीवन को सद्मार्ग प्रदान करें।

गुरु राहुलेश्वर । Guru Rahuleshwar
भाग्य मंथन । Bhagya Manthan

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