Shani Mantra । शनि मंत्र
आज न्यायमूर्ति शिव के अति प्रिय शनि देव के अधिपत्य में आने वाला शनिवार है। जीव इनके द्वारा दिये जाने वाले कठोर दण्डों से आतंकित और भयभीत रहता है लेकिन कभी इनके अच्छे पक्ष को समझने का प्रयास नहीं करता। शनि ग्रह सदैव उसी जीव को कष्ट देते है जो नियमों की अनदेखी करता है और सदैव पापाचार में लिप्त रहता है। इनका सबसे बड़ा शत्रु जीव के अन्दर पलने वाला अहंकार होता है। जब तक किसी भी व्यक्ति के अन्दर दम्भ व अहंकार बना रहता है यह उस व्यक्ति से शत्रुता का भाव निभाते है।
यह शनैः शनैः राशियों से भ्रमण करते हुए सभी एक ऊपर अपनी अवलोकनात्मक दृष्टि रखते है समय आने पर अच्छे कार्यों के लिए पारीतोषिक तो बुरे कार्यों के पीड़ाओं से भरा दण्ड भी देते है।
शनि ग्रह का ध्यान करने से व उनका पूजन शनिवार के दिन करने से उनके द्वारा दिये जाने वाले कष्टों में विशेष कमी आती है इसलिए यदि आप भी शनि साढ़े साती या फिर शनि ढैय्या से पीड़ित है तो सच्चे हृदय शनि शरणागत हो जाये आपका कल्याण होगा।
ऊँ शं शनैश्चाराय नमः।
आपका जीवन शुभ व मंगलमय हो।
गुरु राहुलेश्वर
भाग्य मंथन
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