Shani Stotram । शनि स्तोत्रम्

शनिवार का दिन होता है कुछ खास क्योंकि इस दिन न्याय के देवता शनि देव न्याय करते है। जो लोग इस दिन अपनी गलती मानकर सच्चे दिल से क्षमा प्रार्थना करते है और अपनी भूल को ठीक करने का प्रण लेते है उन्हें तो राहत मिल जाताी है लेकिन जो लोग गलत करते है और उसके पश्चात् भी अपनी गलती न मानकर अहंकार में डूबे रहते है उनके लिए साक्षात काल का रुप ले लेते है शनि देव। 

शनि उपासना के लिए वैसे तो कई मंत्र और स्तोत्र पुराणों और शनि  उपासना के ग्रंथों में बताये गये है लेकिन आज हम जो मंत्र बताने जा रहे है वह सरल होने के साथ साथ जपने में भी आन्नद देता है और शनि ग्रह को बहुत जल्दी प्रसन्न भी करता है।

यह मंत्र श्री नवग्रहस्तोत्रम् से शनि स्तुति करने के लिए लिया गया है।

नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
।। ओऊम शं शनिश्चराय नमः ।।

अर्थः जो नीले रंग के काजल के समान आभा युक्त है, जो सूर्य भगवान के पुत्र है, यमलोक के राजा यमराज के बड़े भाई हैै, सूर्य देव माता छाया से जिनकी उत्पत्ति हुई है उन शनैश्चर को मैं प्रणाम करता हूँ।
जय शनिवदेव

गुरु राहुलेश्वर । Guru Rahuleshwar
भाग्य मंथन । Bhagya Manthan

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