Shri Vishnu Dhyanam । श्री विष्णु ध्यानम्
।। श्री विष्णु का ध्यान ।।
उद्यत्कोटिदिवाकराभमनिशं शंख गदां पंकजं
चक्रं बिभ्रतमिन्दिरावसुमतीसंशोभिपार्श्वद्वयम्।
कोटीरांगदहारकुण्डलधरं पीताम्बरं कौस्तुभै-
र्दीप्तं श्विधरं स्ववक्षसि लसच्छीवत्सचिह्रं भजे॥
ध्यानार्थे अक्षतपुष्पाणि समर्पयामि ॐ विष्णवे नमः ।
अर्थः उदीयमान करोड़ों सूर्य के समान प्रभातुल्य, अपने चारों हाथों में शंख, गदा, पद्म तथा चक्र धारण किये हुए एवं दोनों भागों में भगवती लक्ष्मी और पृथ्वी देवी से सशोभित, किरीट, मुकुट, केयूर, हार और कुण्डलों से समल शोभित और कौस्तुभमणि तथा पीताम्बर से देदीप्यमान विग्रहयुक्त एवं वक्षःस्थल पर श्रीवत्यचिन्ह धारण किये हुए भगवान् विष्णु का मैं निरन्तर ध्यान करता हूँ।
आज बृहस्पतिवार का दिन है और आज के दिन गुरु बृहस्पति ग्रह और विष्णु जी का पूजन किया जाता है। भगवान विष्णु इस सृष्टि के पालक व पोषक करने वाले है और जब जब पृथ्वी पर कोई बड़ी विपत्ति आती है तब तब श्री हरि विष्णु अपनी कृपा पृथ्वी पर जरुरर करते है।
गुरु राहुलेश्वर | Guru Rahuleshwar
भाग्य मंथन । Bhagya Manthan
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