Surya Gochar 16 July 2020 | सूर्य गोचर 16 जुलाई 2020 | Guru Rahuleshwar | Bhagya Manthan
आज हम सूर्य के कर्क राशि में होने वाले गोचर के बारे में चर्चा करेंगे जोकि 16 जलाई 2020 को होगा। सूर्य शक्ति, सामर्थ्य, ऊर्जा और सत्ता का प्रतीक है यदि यह जन्म कुंडली में अच्छी स्थिति में होता है तो जातक राजा की तरह जीवन व्यतीत करता है और यदि इसकी स्थिति जन्म कुंडली में कमजोर हो तो जातक जीवनभर रोग, ऋण व अन्य समस्याओं से घिरा रहता है व दुख भोगता है।
मैं राहुलेश्वर स्वागत करता हूँ आपका भाग्य मंथन में।
आईये आगे बढने से पहले ग्रहों की स्थितियों को भी जान लेते है। सूर्य 16 तारीख को राहु के ग्रहण प्रभाव को छोडकर चन्द्रमा की कर्क राशि में आ जायेंगे। चन्द्रमा स्वयं 16 जुलाई के दिन अपनी उच्च राशि वृषभ में शुक्र के साथ विराजमान होकर लक्ष्मी योग का निर्माण कर रहे है जिसके चलते सूर्य को और बल मिलेगा। मंगल ग्रह मीन राशि में विराजमान रहेंगे जोकि उनके मित्र ग्रह बृहस्पति की राशि है। बुध भी अपनी स्वराशि में राहु के साथ विराजमान रहेंगे। बृहस्पति और केतु ग्रह धनु राशि में विराजमान रहेंगे जोकि बृहस्पति की स्वराशि है। न्याय के देवता शनि इस अपनी स्वराशि मकर में विराजमान रहेगें।
हमारे द्वारा सूर्य गोचर का राशिफल बताया जायेगा वह पूर्ण रुप से चन्द्र राशि और ग्रह गोचर के सिद्धान्तों पर आधिरित होगा।
1. मेष राशिः मेष चन्द्र कुंडली के अनुसार सूर्य का गोचर चतुर्थ भाव से होगा, चतुर्थ भाव भवन-भूमि, वाहन, माता का सुख, परिवार से मानसिक सुख व दुख का होता है। इस स्थान पर जब सूर्य आते है तब भवन-भूमि सम्बन्धि कष्ट व चिन्ताओं का उदय होता है। इस समय वाहन चोरी का भय, वाहन दुर्घटनाओं के होने का भय अत्यधिक होता है इसलिए इस समय वाहन के रख रखाव व चालन करते समय ध्यान रखना चाहिए। माता व मातातुल्य स्त्रियों के स्वास्थ्य का ध्यान भी इस समय अधिक रखना चाहिए। इस समय सूर्य और शनि एक दूसरे के दृष्टि सम्बन्ध में आयेंगे जिसके चलते शारीरिक पीड़ा व अस्थिभंग होने के योग भी बनेगें। मंगल की स्थिति इस समय परिवार में किसी विवाद को बढ़ा सकती है। कुल मिलाकर सूर्य का गोचर कर्क राशि में सावधानी बरतने वाला होता है।
उपायः प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्यं जरुर दें और अर्घ्यं देते समय सूर्य के द्वादश नामों का ध्यान करें।
2. वृषभ राशिः वृषभ राशि की चन्द्र कुंडली के अनुसार सूर्य का गोचर तीसरे भाव में होगा, तीसरा भाव पराक्रम, परिश्रम, बाहुबल, उत्साह व भाईयों से सम्बन्धित होता है। इस स्थान पर सूर्य का आना जातक के लिए बहुत शुभ होता है। शक्ति, ऊर्जा और सामर्थ्य के प्रतीक सूर्य जब स्वयं पराक्रम के भाव में आते है तब वह सर्वप्रथम जातक के शरीर को पुष्ट व स्वस्थ करते है और यदि कोई रोग शरीर में चल रहा हो तो उससे मुक्त करते है। आपके प्रभाव में इस समय वृद्धि होती है और आपकी अवहेलना करने वाले व शत्रु पीछे हो जाते है। इस समय भाईयों और पुत्रों से धन लाभ के योग बनते है। जो लोग नौकरी में लिप्त होते है उनको पदोन्नति मिलती है और जो लोग व्यवसाय करने वाले है उनको बढ़े धन-लाभ होने के योग बनते है। 16 जुलाई 2020 को चन्द्रमा और शुक्र की स्थिति भी बहुत शुभ बनेगी जिसके चलते और भी शुभ संकेत मिलते है। कुल मिलाकर सूर्य का यह गोचर आपके लिए शुभ रहेगा।
उपायः शनिवार के दिन दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ जरुर करें।
3. मिथुन राशिः मिथुन राशि की चन्द्र कुंडली के अनुसार सूर्य का गोचर द्वितीय स्थान पर होगा, द्वितीय स्थान धन, कीमती अभूषणों, वाणी और नेत्रों से सम्बन्धित होता है। जन्म कुंडली से दूसरे स्थान पर सूर्य गोचर सामान्यतः नकारात्मक प्रभाव देने वाला साबित होता है। यदि जन्म समय में सूर्य की स्थिति ज्यादा खराब हो तो यह प्रभाव और भी ज्यादा खराब हो सकता है लेकिन यदि जन्म समय में शुभ हो तो ज्यादा नकारात्मक फलों की प्राप्ति नहीं होती। सूर्य जब गोचरवश दूसरे स्थान पर आते है तो नेत्र विकार और सिर से सम्बन्धित समस्याऐं उत्पन्न होती है और इस समय अचानक आपके सिर व गर्दन के हिस्से में दर्द रहेगा। धन सम्बन्धि मामलों यदि इस समय आप सावधान नहीं रहे तो धन हानि होने के योग भी बनेंगे। इस समय दुष्ट लोगों के साथ के चलते आपकी स्वयं की वाणी भी गलत शब्दों के चुनाव में पीछे नहीं रहेगी इसलिए इस समय किसी का भी साथ सोच समझ कर करें।
उपायः शनिवार के दिन साबुत प्याज व काली उड़द नीले कपड़े में बाँधकर शनि मन्दिर में दान करें सब मंगल रहेगा।
4. कर्क राशिः कर्क राशि की चन्द्र कुंडली के अनुसार सूर्य का गोचर प्रथम भाव में होगा जिसे चन्द्र लग्न भी कहा जाता है। प्रथम भाव से जातक के पूरे जीवन का निचोड़ व निष्कर्ष निकाल लिया जाता है, प्रथम भाव के अध्ययन से रंग, रुप, सुख-दुख, मूल स्वभाव, व्यक्तित्व, आयु, यश और मान-सम्मान का बोध होता है। गोचरवश जब सूर्य प्रथम भाव में आते है तब कोई भी कार्य सरलता से नहीं होता और कहीं न कहीं समस्याएं बनती रहती है। इस समय ज्वर, उदर रोग, पेट में गर्मी हो जाना, नेत्रों में जलन, सिर दर्द, अग्नि से कष्ट, दन्त पीड़ा, झूटे आरोप लगना, स्वभाव में गुस्सा, वाणी में उग्रता बढ़ती है और तृष्णा बढ़ती है। इस समय जातक को यह महसूस होता है कि जीवन बिन उद्देश्य का है लेकिन यदि जन्म कुंडली में सूर्य की स्थिति काफी मजबूत और राजयोगकारक हो तो बहुत ज्यादा परेशानियाँ नहीं आती। इस समय अग्नि व गर्म चीजों से बचके रहना चाहिए।
उपायः प्रत्येक सोमवार के दिन जल में काले तिल डालकर भगवान शिव का अभिषेक करें।
5. सिंह राशिः सिंह राशि की चन्द्र कुंडली के अनुसार सूर्य ग्रह का गोचर द्वादश भाव में होगा जिसे व्यय भाव भी कहा जाता है। इस भाव से धन की हानि, अत्यधिक खर्चा, ऋण, अपयश, कोर्ट कचहरी पर खर्चा, विदेश गमन, बायें नेत्र में विकार, विवाह विच्छेद, शय्या सुख-दुख और मोक्ष का बोध होता है। जब सूर्य इस द्वादश भाव में आते है तो कष्टकारक यात्राओं से शरीर में रोग उत्पन्न होता है और मन में बेचैनी बढ़ती है, बायें नेत्र में चोट का खतरा रहता है व अचानक नेत्र में पीड़ा व किसी अन्य प्रकार का विकार बनता है, इस समय चिकित्सा के ऊपर धन व्यय होता है, कोर्ट कचहरी को लेकर भी इस समय मन में भय रहता है, इस समय अचानक खर्चों के चलते ऋण लेने से भी मन अप्रसन्न रहता है, अपमान हो जाने की चिन्ता और अत्यधिक भयभीत होने की वजह से रात्रि में निद्रा भंग रहती है एवं शय्या भी शरीर के लिए सुखदायक नहीं रहती। कुल मिलाकर यह समय परेशान करने वाला साबित होता है।
उपायः सिंह राशि वालों को सूर्य के कर्क राशि में होने पर रोज सुबह रुद्राक्ष की माला से ओऊम घृणी सूर्याय नमः मंत्र का जाप रोज करना चाहिए और सूर्य को लाल चन्दन डालकर अर्घ्यं देना चाहिए।
6. कन्या राशिः कन्या राशि की चन्द्र कुंडली के अनुसार सूर्य का गोचर एकादश भाव में होगा जिसे लाभ भाव व आगम भाव भी कहते है। इस भाव आय, लाभ, संपत्ति, वाहन, बड़े भाई बहन, गुप्त धन की प्राप्ति का चिन्तन किया जाता है। सूर्य का गोचर जब एकादश भाव में बहुत शुभ होता है और यदि जन्म कुंडली में सूर्य उच्च राशिगत हो या फिर राजयोग कारक हो तो इस समय कोई विशेष पद या लाभ की प्राप्ति होती है। इस समय परिवार में यज्ञ अनुष्ठान व मंगल कार्य होते है और चित्त में प्रसन्नता बनी रहती है। इस समय भाई बहनों से सद्मार्ग व सहायता की भी प्राप्ति होती है। सूर्य के शुभ प्रभाव के चलते पिता पक्ष से आर्थिक सहायता के साथ साथ भवन-भूमि के लाभ के योग भी बनते है। कुल मिलाकर कन्या राशि के जातक के लिए सूर्य का यह गोचर शुभ रहता है।
उपायः सूर्य का गोचर और भी शुभ रहे इसके लिए रोज आदित्य ह्दय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए व सूर्य को तांबे के लोटे में जल डालकर अर्घ्यं देना चाहिए।
7. तुला राशिः तुला राशि की चन्द्र कुंडली के अनुसार सूर्य का गोचर दशम भाव में होगा जिसे कर्म भाव भी कहते है। इस भाव से नौकरी, व्यवसाय, अधिकार, नेतृत्व, पिता का सुख, आत्म विश्वास, मान-सम्मान का बोध होता है। सूर्य ग्रह जब गोचरवश इस भाव से गुजरते है तब मान-सम्मान में वृद्धि होती है, धन व कीमती अभूषणों की प्राप्ति होती है, सरकार द्वारा या किसी सरकारी अधिकारी से सहायता प्राप्त होती है जिससे लाभों में वृद्धि होती है, इस समय आपके मित्र भी आपके लिए सहयोगी व लाभ दिलवाने वाले साबित होते है, नौकरी करने वालों को इस समय प्रमोशन के योग बनते है और व्यापार करने वालों को बड़े लाभ मिलते है। कुल मिलाकर यह गोचर शुभ रहता है व प्रतिष्ठा बढाने वाला साबित होता है।
उपायः शनिवार के दिन शनि मन्दिर में छायादान जरुर करें इससे छोटे मोटे रुकावटें भी दूर हो जायेगी।
8. वृश्चिक राशिः वृश्चिक राशि की चन्द्र कुंडली के अनुसार सूर्य का गोचर नवम भाव में होगा जिसे भाग्य भाव भी कहा जाता है। नवम भाव से जातक के भाग्योदय, धर्म, तप, तीर्थ यात्रा, गुरु भक्ति, ईश्वर भक्ति, पिता व पिता से सुख, दान व पुण्य व धर्म को लेकर आस्तिक व नास्तिक प्रवृति का ज्ञान प्राप्त होता है। गोचर सिद्धान्तों के अनुसार इस स्थान से जब सूर्य गोचर करते है तब जातक कुछ ऐसे कर्मों में लिप्त होता है जिससे उसके मान सम्मान को भारी हानि पहुंचती है, पुण्यों की हानि भी होती है जिसके चलते जातक कभी कभी असाध्य रोगों से भी घिर जाता है, जन्म समय में सूर्य की स्थिति जितनी ज्यादा खराब होगी उतने ज्यादा खराब प्रभाव इस गोचर द्वारा प्राप्त होते है परन्तु इसके विपरीत यदि जन्म कुंडली में सूर्य मजबूत व शुभ है तो मिले जुले फलों की प्राप्ति होती है।
उपायः प्रत्येक रविवार को आटे की लोई में गुड़ डालकर गौ माता को भोग लगाये सब मंगल होगा।
9. धनु राशिः धनु राशि की चन्द्र कुंडली के अनुसार सूर्य का गोचर अष्टम भाव में होगा जिसे आयु और मृत्यु भाव भी कहते है। इस भाव से जीवन कब तक है और मृत्यु कैसी होगी, असाध्य रोग, पूर्व जन्म, अकाल मृत्यु, ऋण, गुप्तांगो और गुप्तांगों से सम्बन्धित रोगों का विचार किया जाता है। इस अन्धकारमय भाव से जब सूर्य ग्रह गोचरवश गुजरते है तब ज्यादातर समस्याएं आपके सामने आकर खड़ी हो जाती है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि यह समस्याएं सूर्य द्वारा दी जाती है। इस समय आपको कष्ट मिलते है लेकिन इसको सही से समझे तो यह आपके द्वारा किये बुरे कर्मों के प्रायश्चित का समय होता है इसलिए इस समय मन को शान्त रखकर जो भी चीज सामने आये उसे ठण्डे दिमान से देखिये समझिये व समाधान करिये और भयभीत बिल्कुल भी न हो। यह समय ऐसा होता है जो आपके अन्दर से पूर्ण भय निकालकर भयमुक्त जीवन जीने का होता है।
उपायः रोज सुबह दुर्गा कवच का पाठ करें और शुक्रवार के दिन माँ दुर्गा को अनार का भोग लगायें, आप देखियेगा माँ दुर्गा की कृपा आपके ऊपर जरुर होगी।
10. मकर राशिः मकर राशि की चन्द्र कुंडली के अनुसार सूर्य का गोचर सप्तम भाव में होगा जिसे जीवनसाथी, दैनिक आजीविका, भोग-विलास, साझेदारी, चरित्र, जीवनसाथी से वियोग, जीवनसाथी से सुख व दुख एवं सहायक मारकेश का चिन्तन किया जाता है। सूर्य सप्तम भाव में गोचरवश आते ही उत्पात मचाने का कार्य करता है। इस गोचर के प्रभाव से जीवनसाथी से मतभेद, वैचारिक विराधाभास होने के योग ज्यादा बनते है। जन्म समय में सूर्य की स्थिति यह तय करती है कि इस समय कितने खराब प्रभाव मिलेंगे। दैनिक जीविका प्राप्त करने में भी इस समय काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जो लोग साझेदारी में रहकर व्यवसाय कर रहे होते है उनके लिए यह समय काफी खराब व साझेदारी को तोड़ने तक के योग बनाता है। स्त्री पक्ष को इस योग के चलते उदर सम्बन्धी काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस समय आर्थिक दृष्टिकोण से बहुत सोच समझ के निर्णय लेने चाहिए।
उपायः इस समय आपको सूर्योदय से पहले उठ जाना चाहिए और रात्रि में भी समय से सो जाना चाहिए। रोज सुबह सूर्य को अर्घ्यं देकर प्रसन्न करना चाहिए।
11. कुम्भ राशिः कुम्भ राशि की जन्म कुंडली के अनुसार सूर्य का गोचर छटे भाव में होगा जिसे रोग भाव भी कहते है। इस भाव से रोग, ऋण, शत्रु, मामा, भय, झगड़े, कोर्ट कचहरी, दुख और गुदा स्थान का विचार किया जाता है। सूर्य का गोचर जब इस नकारात्मक प्रभाव देने वाले भाव में होता है तो सूर्य का प्रचण्ड तेज सभी नकारात्मक प्रभावों को भस्म कर देता है। इस समय शत्रु पक्ष से भी लाभ के मजबूत योग बनते है। इस समय सभी कार्य सिद्धि को प्राप्त होते है और अड़चने डालने वाले सभी लोग व शत्रु भयभीत होकर स्वयं पीछे हट जाते है। जो लोग लम्बे समय से रोगों से पीड़ित होते है उन लोगों को राहत मिलती है व रोग शान्त होते है। ऋण उतरने के योग भी यहाँ बनते है और मदद करने के लिए कोई मित्र या परिवार का व्यक्ति आगे बढ़कर साथ देता है।
उपायः शनिवार के दिन शनि चालीसा का पाठ जरुर करें और उसके पश्चात् वृद्ध लोगों में आटा व आटे से बनी चीजों का वितरण करें और अहंकार से दूर रहें।
12. मीन राशिः मीन राशि की जन्म कुंडली के अनुसार सूर्य का गोचर पंचम स्थान पर होगा जोकि विद्या, बुद्धि, ज्ञान, संतान, प्रबन्ध, गर्भ, नीति, विनय, ख्याति, पाचन शक्ति, प्रेम का चिन्तन करने वाला भाव है। इस भाव में जब सूर्य ग्रह गोचरवश आते है तब मतिभ्रम ज्यादा होता है और मानसिक कष्टों की मात्रा अचानक से बढ़ जाती है जिससे जातक अपना आपा खो बैठता है और सभी के साथ विचित्र व्यवहार करता है। इस समय संतान को किसी रोग के चलते कष्ट मिलता है। इस समय जातक शुभ कार्यों के प्रति नास्तिक हो जाता है। इस समय जल्दीबाजी और गलत निर्णयों को लेकर बड़ी धनहानि के योह भी बनते है इसलिए इस समय जल्दीबाजी से बचें और कोई भी कार्य सोच समझ कर ही करें।
उपायः शिवलिंग का जलाभिषेक रोज करें व शनिवार के दिन तेल दान जरुर करें आपका मंगल होगा।
मित्रों सूर्य देव आप सभी पर कृपा करें और भगवान शिव की दया दृष्टि आप सभी पर सदैव बनी रहें इसी के साथ मैं आपसे आज्ञा चाहूँगा।
आपका जीवन शुभ व मंगलमय हो।
।। नमो नारायण ।।
गुरु राहुलेश्वर
भाग्य मंथन
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