Suvichar । सुविचार, Guru Rahuleshwsr


दूसरों की बातों को सुनकर अपने मन मस्तिष्क को पीड़ित नहीं करना चाहिए। दूसरे व्यक्ति द्वारा आपको देखने और समझने का नजरिया स्वयं उसके संस्कारों और उसके जीवन में घटित हो रही घटनाओं पर आधारित होता है। कोई आपको अच्छा बतायेगा, कोई आपको बुरा बतायेगा, कोई आपको तटस्थ बतायेगा लेकिन ऐसा तो हो नहीं सकता की आप सभी हो।

इसलिए कभी भी दूसरों के शब्दों में स्वयं के चरित्र को मत ढूंढिए क्योंकि इसके विश्लेषण और व्याख्या का अधिकार केवल आपको है।

गुरु राहुलेश्वर
भाग्य मंथन

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