अच्छे कर्म निरन्तर करते रहने से दुर्भाग्य व दरिद्रता पूर्ण रुप से दूर हो सकती है। जन्म कुंडली से अधिक ध्यान देने वाली चीज कर्म कुंडली है।
Aatmashod / आत्मशोध
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जन्म और मृत्यु के बीच यह संसार का जो विस्तार है और यह पर नाना प्रकार के प्रपंच है केवल इनमें उलझे रहने के लिए यह जीवन नहीं मिला है। इस जीवन को सफल तभी बनाया जा सकता है जब जन्म-मृत्यु के बीच इन प्रपंचों को समझते हुए निष्कपट रुप से स्वयं पर आत्मशोध किया जाय और परमात्मा का हमें यहाँ भेजने का परम उद्देश्य समझा जाये।
किसी भी कारण से यदि आप केवल इन प्रपंचो में ही फंसे रहते है और नियमित आत्ममंथन और आत्मशोध नहीं करते है तो परमात्मा द्वारा दिया गये इस जीवन का अपमान है।
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