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Showing posts from May, 2020

Shani Jayanti 2020 । शनि जयंती 2020

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आज दिनाँक 22 मई, 2020 शुक्रवार के दिन ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन शनि जयंती पूरे देश में धूम धाम से मनायी जायेगी। इस दिन शनि देव के निमित्त व्रत उपवास रखने से शनि कृपा तो प्राप्त होती ही है और यदि कोई शनि देव के प्रकोप से पीड़ित है और किसी पर शनि साढ़े साती, शनि ढैय्या या कंटक योग बना हो तो उसे भी आज के दिन विधिपूर्वक व्रत उपवास व दान करने से शनि देव का आर्शिवाद प्राप्त होता है। आज के दिन वट सावित्री व्रत भी मनाया जाता है और जो विवाहित स्त्री आज के दिन वट सावित्रि व्रत को नियमों का पालन करते हुए रखती है तो उसे अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति भी होती है। कुल मिलाकर आज का दिन बहुत शुभ है इसका अच्छे से सदुपयोग करें और अपने जीवन को शुभ व मंगलमय बनायें। आप सभी को शनि देव जयंती और वट सावित्री व्रत की बहुत बहुत शुभकामनाएं। गुरु राहुलेश्वर । Guru Rahuleshwar भाग्य मंथन । Bhagya Manthan #shanijayanti2020 #vatsavitrivrat2020 #gururahuleshwar #bhagyamanthan #vedicjyotish #guruji #शनिजयंती2020 #वटसावित्रिव्रत2020 #गुरुराहुलेश्वर #भाग्यमंथन #वैदिकज्योतिष

Shir Hari Vishnu । श्री हरि विष्णु

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आज बृहस्पतिवार का दिन है जो कि नवग्रहों में बृहस्पति के अधिपत्य में आता है और बृहस्पति के आराध्य श्री हरि विष्णु है जो पूरी सृष्टि के रक्षक व पालन पोषण करने वाले दोनों है। जब जब पृथ्वी पर कोई आपत्ति या महामारी आती है तब तब विष्णु जी विभिन्न रुपों में अवतार लेकर पृथ्वी व पृथ्वी के जीवों की रक्षा करते है। आईये इस मंत्र से द्वापर युग में विष्णु जी के कृष्ण अवतार का वंदन करें। वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम् । देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् ॥ हिन्दी अर्थ: कंस और चाणूर का वध करनेवाले, देवकी के आनन्दवर्द्धन, वसुदेवनन्दन जगद्गुरु श्रीक़ृष्ण चन्द्र की मैं वन्दना करता हूँ । गुरु राहुलेश्वर । Guru Rahuleshwar भाग्य मंथन Bhagya Manthan  #lordvishnu #gurubrahaspati #gururahuleshwar #bhagyamanthan #rahuleshwar #श्रीहरिविष्णु #श्रीकृष्ण #गुरुराहुलेश्वर #भाग्यमंथन #Vedicjyotish #astrologer #वैदिकज्योतिष

Jai Shri Ganesh । जय श्री गणेश

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आज बुधवार है और बुधवार के दिन प्रथम पूज्यनीय विघ्नविनाशक गणपति महाराज का पूजन किया जाता है। आईये आज के दिन की शुरुवात गणपति जी के इस मंत्र से करते है। एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं। विध्ननाशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥ अर्थः जो एक दाँत से सुशोभित हैं, विशाल शरीरवाले हैं, लम्बोदर हैं, गजानन हैं तथा जो विघ्नोंके विनाशकर्ता हैं, मैं उन दिव्य भगवान् हेरम्बको प्रणाम करता हूँ । गुरु राहुलेश्वर । Guru Rahuleshwar भाग्य मंथन । Bhagya Manthan #shriganesh #ganeshji #ganeshmantra #gururahuleshwar #rahuleshwar #bhagyamanthan #गणेशमंत्र #गुरुराहुलेश्वर #राहुलेश्वर #भाग्यमंथन #वैदिकज्योतिष #Astrology #vedicastrologer

Jai Veer Hanuman । जय वीर हनुमान

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आज मंगलवार है और आज के दिवस में शुद्ध ज्ञान और भक्ति के कारक श्री हनुमान जी पूजन श्रद्धालूजन करते है। कलयुग में श्री हनुमान जी जागृत देवताओं में आते है और इनके ध्यान और सुमिरन से जीव सद्मार्ग पर चलता है और वास्तविक रुप से उस दिशा में अग्रसर होता है जिसके लिए उसका जन्म हुआ है। मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं वुद्धिमतां वरिष्ठम्। वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतम् शरणं प्रपद्ये।। हिन्दी अर्थः जिन प्रभु की मन के समान गति और वायु के समान वेग है, जो परम जितेन्द्रिय और बुद्धिमानों में श्रेष्ठ हैं, उन पवनपुत्र वानरों में प्रमुख श्रीरामदूत की मैं शरण लेता हूँ। गुरु राहुलेश्वर | Guru Rahuleshwar भाग्य मंथन । Bhagya Manthan #jaihanuman #tuesdaymotivation #tuesdaymantra #tuesdayyantra #gururahuleshwar #rahuleshwar #bhagyamanthan #जयहनुमान #गुरुराहुलेश्वर #भाग्यमंथन #बजरंगबली #वैदिकज्योतिष #astrologer #vedicastrologer

Apra Ekadashi । अपरा एकादशी

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श्रीकृष्ण भगवान ने अपरा एकादशी के बारे में युधिष्ठिर को बताया कि अपरा एकादशी पुण्य प्रदाता है और इस व्रत को विधिपूर्वक पूरा करने से बड़े-बड़े पातकों का नाश हो जाता है। ब्रह्मा हत्या से दबा हुआ, गोत्र की हत्या करने वाला, गर्भस्थ शिशु को मारने वाला, परनिंदक, परस्त्रीगामी भी अपरा एकादशी का व्रत रखने से पापमुक्त होकर श्री विष्णु लोक में प्रतिष्ठित हो जाता है। आज अपरा एकादशी है आप भी आज के दिन भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए आज का व्रत पूर्ण करें और अपने पुण्य कोष में वृद्धि करें। आपका जीवन सफल हो। गुरु राहुलेश्वर । Guru Rahuleshwar भाग्य मंथन । Bhagya Manthan #apraekadashi #ekadashi #gururahuleshwar #rahuleshwar #bhagyamanthan #अपराएकादशी #एकादशी #गुरुराहुलेश्वर #भाग्यमंथन #astrologer #vedicastrologer #वैदिकज्योतिष

Pashupatinath mantra ।पशुपतिनाथ मंत्र

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मनुष्य योनि में जन्म लेने मात्र से ही मनुष्यता की उपाधि नहीं मिल जाती। मनुष्यता प्राप्त करने के लिए और अपने मनुष्य जीवन को सिद्ध करने के लिए हमें अपने जीवन में उसके अनुरुप कार्य भी करने पड़ते है। काम, क्रोध, लोभ-लालच, मोह और अहंकार में फंसकर मनुष्य पशुत्व व्यवहार करता है और अपने पतन का मार्ग तैयार कर लेता है। ऐसी स्थिति में जब मनुष्य चाह कर भी अपने पशुत्व जीवन से बाहर नहीं निकल पाता तब उसे पशुपतिनाथ का पूजन व ध्यान करना चाहिए। भगवान शिव का यह रुप सभी पशुओं के नाथ होने के साथ साथ मनुष्य योनि में जन्म लेने वाले पशुत्व जीवन भोग रहे लोगों का भी उद्धार करते है और जीवन को सही दिशा व सद्मार्ग देते है। ।। ॐ पशुपतिनाथाय नमः ।। गुरु राहुलेश्वर । Guru Rahuleshwar भाग्य मंथन । Bhagya Manthan #pashupatinath #gururahuleshwar #bhagyamanthan #rahuleshwar #पशुपतिनाथ #गुरुराहुलेश्वर #भाग्यमंथन #astrologer #vedicastrologer

Surya Yantram । सूर्य यंत्रम्

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आदित्यस्य नमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने। आयुः प्रज्ञा बलं वीर्यं तेजस्तेषां च जायते।। अर्थः जो लोग प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करते हैं, उनकी आयु, प्रज्ञा, बल, वीर्य और तेज बढ़ता है। #राहुलेश्वर भाग्य मंथन #gururahuleshwar #rahuleshwar #surya #suryayantra #suryamantra #suryanamaskar #bhagyamanthan

Shani Stotram । शनि स्तोत्रम्

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शनिवार का दिन होता है कुछ खास क्योंकि इस दिन न्याय के देवता शनि देव न्याय करते है। जो लोग इस दिन अपनी गलती मानकर सच्चे दिल से क्षमा प्रार्थना करते है और अपनी भूल को ठीक करने का प्रण लेते है उन्हें तो राहत मिल जाताी है लेकिन जो लोग गलत करते है और उसके पश्चात् भी अपनी गलती न मानकर अहंकार में डूबे रहते है उनके लिए साक्षात काल का रुप ले लेते है शनि देव।  शनि उपासना के लिए वैसे तो कई मंत्र और स्तोत्र पुराणों और शनि  उपासना के ग्रंथों में बताये गये है लेकिन आज हम जो मंत्र बताने जा रहे है वह सरल होने के साथ साथ जपने में भी आन्नद देता है और शनि ग्रह को बहुत जल्दी प्रसन्न भी करता है। यह मंत्र श्री नवग्रहस्तोत्रम् से शनि स्तुति करने के लिए लिया गया है। नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।। ।। ओऊम शं शनिश्चराय नमः ।। अर्थः जो नीले रंग के काजल के समान आभा युक्त है, जो सूर्य भगवान के पुत्र है, यमलोक के राजा यमराज के बड़े भाई हैै, सूर्य देव माता छाया से जिनकी उत्पत्ति हुई है उन शनैश्चर को मैं प्रणाम करता हूँ। जय शनिवदेव गुरु राहुलेश्वर । Guru Rahuleshwar भाग्य

Mahalaxmi Gayatri Mantra । महालक्ष्मी गायत्री मंत्र

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शुक्रवार का दिन शुक्र ग्रह के अधिपत्य में आता है और इस दिन की अधिष्टात्री देवी माता महालक्ष्मी है। कई लोग महालक्ष्मी का नाम आते बस उनको धन और बहुमूल्य आभूषणों से जोड़ कर देखते है लेकिन यह माता महालक्ष्मी के सम्बन्ध में काफी कम जानकारी होने के कारण सामने आने वाले तथ्य है। महालक्ष्मी का पूजन मुख्य रुप से अष्ट महालक्ष्मी के रुप में किया जाता है। जिससे जीवन के प्रत्येक हिस्से में जीव सुखी रहे व उसे जीवनयापन में कोई समस्या न आयें। माता अष्टलक्ष्मी सभी रुपों के साथ हमारे जीवन को अपना आर्शिवाद प्रदान करें इसके लिए महालक्ष्मी के गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। इस मंत्र के नियमित रुप से जाप करने से माता महालक्ष्मी प्रसन्न रहती है जिससे जीव का जीवन पाना सार्थक हो पाता है। महालक्ष्मी गायत्री मंत्रः ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥ अर्थः ब्रह्म शक्ति स्वरुप महालक्ष्मी जो कि ब्रह्म स्वरुप विष्णु की पत्नी है हम उनका ध्यान करते है वह हमारे जीवन को सद्मार्ग प्रदान करें। गुरु राहुलेश्वर । Guru Rahuleshwar भाग्य मंथन । Bhagya Manthan #mahalaxmigayatrimant

Shri Vishnu Dhyanam । श्री विष्णु ध्यानम्

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।। श्री विष्णु का ध्यान ।। उद्यत्कोटिदिवाकराभमनिशं शंख गदां पंकजं चक्रं बिभ्रतमिन्दिरावसुमतीसंशोभिपार्श्वद्वयम्‌। कोटीरांगदहारकुण्डलधरं पीताम्बरं कौस्तुभै- र्दीप्तं श्विधरं स्ववक्षसि लसच्छीवत्सचिह्रं भजे॥ ध्यानार्थे अक्षतपुष्पाणि समर्पयामि ॐ विष्णवे नमः । अर्थः उदीयमान करोड़ों सूर्य के समान प्रभातुल्य, अपने चारों हाथों में शंख, गदा, पद्म तथा चक्र धारण किये हुए एवं दोनों भागों में भगवती लक्ष्मी और पृथ्वी देवी से सशोभित, किरीट, मुकुट, केयूर, हार और कुण्डलों से समल शोभित और कौस्तुभमणि तथा पीताम्बर से देदीप्यमान विग्रहयुक्त एवं वक्षःस्थल पर श्रीवत्यचिन्ह धारण किये हुए भगवान् विष्णु का मैं निरन्तर ध्यान करता हूँ। आज बृहस्पतिवार का दिन है और आज के दिन गुरु बृहस्पति ग्रह और विष्णु जी का पूजन किया जाता है। भगवान विष्णु इस सृष्टि के पालक व पोषक करने वाले है और जब जब पृथ्वी पर कोई बड़ी विपत्ति आती है तब तब श्री हरि विष्णु अपनी कृपा पृथ्वी पर जरुरर करते है। गुरु राहुलेश्वर | Guru Rahuleshwar भाग्य मंथन । Bhagya Manthan #shrivishnu #lordvishnu #gururahuleshwar #rahuleshwar #bhagyamanthan #astrolog

Shri Ganesh Mahima । श्री गणेश महिमा

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श्री गणेश शिवजी और पार्वती के पुत्र हैं। उनका वाहन डिंक नामक मूषक है। गणों के स्वामी होने के कारण उनका एक नाम गणपति भी है। ज्योतिष में इनको केतु का देवता माना जाता है और जो भी संसार के साधन हैं, उनके स्वामी श्री गणेशजी हैं। हाथी जैसा सिर होने के कारण उन्हें गजानन भी कहते हैं। गणेश जी का नाम हिन्दू शास्त्रों के अनुसार किसी भी कार्य के लिये पहले पूज्य है। इसलिए इन्हें प्रथमपूज्य भी कहते हैं। गणेश कि उपसना करने वाला सम्प्रदाय गाणपत्य कहलाता है।  गणपति आदिदेव हैं जिन्होंने हर युग में अलग अवतार लिया। उनकी शारीरिक संरचना में भी विशिष्ट व गहरा अर्थ निहित है। शिवमानस पूजा में श्री गणेश को प्रणव (ॐ) कहा गया है। इस एकाक्षर ब्रह्म में ऊपर वाला भाग गणेश का मस्तक, नीचे का भाग उदर, चंद्रबिंदु लड्डू और मात्रा सूँड है। चारों दिशाओं में सर्वव्यापकता की प्रतीक उनकी चार भुजाएँ हैं। वे लंबोदर हैं क्योंकि समस्त चराचर सृष्टि उनके उदर में विचरती है। बड़े कान अधिक ग्राह्यशक्ति व छोटी-पैनी आँखें सूक्ष्म-तीक्ष्ण दृष्टि की सूचक हैं। उनकी लंबी नाक (सूंड) महाबुद्धित्व का प्रतीक है। आप सभी के लिए बुधवार का दिन शुभ

Hanuman 12 Names । हनुमान द्वादश नामावली

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।।जय सीता राम।। आज मंगलवार है और मंगल को जन्में राम भक्तिरस में डूबे मंगलकारी अंजनीसुत पवनपुत्र हनुमान का दिन है। हनुमान जी का पूजन व उनका ध्यान सभी संकटो से निकालने वाला है इसलिए इनका एक नाम संकटमोचन हनुमान भी है। विश्व जब एक मृत्यु श्राप जैसी महामारी से ग्रसित है ऐसी अवस्था में भक्ति रस में डूबे राम रस के प्रेमी मातासीता के शोक का निवारण करने वाले हनुमान जी ध्यान पूरी सृष्टि का शोक हरण करने वाला है। मंगलवार के दिन भगवान हनुमान जी के हनुमत् द्वादश नाम स्तोत्र का पाठ करने से सभी प्रकार के भय और विपत्तियाँ समाप्त होती है और जीव सद्मार्ग पर चलता है। ।। हनुमत् द्वादश नाम स्तोत्रम् ।। हनुमान अन्जनासूनु: वायुपुत्रो महाबल: । रामेष्ट:फाल्गुण सख: पिगंलाक्षोमितविक्रम: ।। उदधिक्रमणश्चैव सीताशोक विनाशक: । लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा ।। द्वादशैतानि नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन: । तस्य मृत्युभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत् ।। ( १ ) हनुमान - जिनकी ठुड्डी वज्र प्रहार से थोड़ी उठी हुई है। ( २ ) अन्जनासूनु - जिनकी माता का नाम अन्जनी है। ( ३ ) वायुपुत्र - जो पवन देव के पुत्र है । ( ४ ) महाबल - जो

Rudra Gayatri Mantra । रुद्र गायत्री मंत्र

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सृष्टि के पुनः निर्माण से ठीक पहले भगवान शिव पूरी सृष्टि के संहार की भूमिका में रहते है और बाकी समय सृष्टि रक्षण के लिए ध्यानस्थ रहते है। इनकी कृपा प्राप्त करने के लिए ज्यादा प्रपंच भी नहीं करने पड़ते और श्रद्धालू के पास यथाशक्ति जो भी हो ये उसे प्रेम पूर्वक ग्रहण कर लेते है। इनकी महिमा ऐसी है कि सृष्टि के रक्षण के लिए हलाहल विष को भी अमृत की भांति ग्रहण कर जाते है। गायत्री मंत्र महामंत्र है और जब कोई शिव भक्त गायत्री महामंत्र से भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहे तो उसे रुद्र गायत्री मंत्र का नियमित रुप से तीन समय पाठ करना चाहिए। जब किसी जातक की जन्म कुंडली में कोई क्रूर व पीड़ादायक दोष हो तो उसे भगवान रुद्र की अराधना बहुत राहत देती है।  रुद्र गायत्री मंत्र ।। ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।। आज सोमवार का दिन आप सभी के लिए शुभ व मंगलमय हो। ।।नमो नारायण।। गुरु राहुलेश्वर | Guru Rahuleshwar भाग्य मंथन | Bhagya Manthan #rudragayatrimantra #shivmantra #gururahuleshwar #bhagyamanthan #रुद्रगायत्रीमंत्र #गुरुराहुलेश्वर #भाग्यमंथन #ज्योतिषाचार्य #Astrology

Mother's Day 2020 । मातृ दिवस 2020

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मातृ दिवस माता को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है. एक मां का आँचल अपनी संतान के लिए कभी छोटा नहीं पड़ता। माँ का प्रेम अपनी संतान के लिए इतना गहरा और अटूट होता है कि माँ अपने बच्चे की खुशी के लिए सारी दुनिया से लड़ लेती है। माँ हमारे जीवन का आधार है, हमारी शक्ति है और इस शक्ति की भक्ति हमें पूरे जीवन भर करनी चाहिए। आज के दिन अपनी माता के सम्मान के साथ साथ मातातुल्य सभी स्त्रियों को आदर व सम्मान दें व अपनी ओर से श्रद्धा सुमन अर्पित करें। ।। मातृ देवो भवः ।। गुरु राहुलेश्वर भाग्य मंथन #mother'sday #मातृदिवस #gururahuleshwar #rahuleshwar #bhagyamanthan #गुरुराहुलेश्वर #भाग्यमंथन #vedicastrologer

अद्वैत । Advait

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जिस दिन जीव की एकाग्रता का स्तर बढ़कर ऐसे स्तर पर पहुँच जाता है जहाँ उसे अपने जीवन लक्ष्य के समकक्ष और कुछ नहीं दिखता तब उस जीव को सम्बन्धित लक्ष्य की प्राप्ति अवश्य होती है। सदैव अपने लक्ष्य के प्रति भ्रम में रहने वाले की न ही ईश्वरीय उपासना सिद्ध होती है और न ही जीवन का कोई बड़ा लक्ष्य ही पूरा होता है।  मन और बुद्धि जीव को सदैव जीवन से सम्बन्धित अलग अलग दृश्य देती रहती है और जीव अपने मूल लक्ष्य को बार बार खोता रहता है और इसी माया के चलते असन्तोष व असन्तुष्टि को प्राप्त होकर तृष्णा में जीता रहता है। जिस दिन जीव एकाग्र होकर ज्ञान बोध से बुद्धि और मन के बीच निर्मित माया के द्वैत को समाप्त कर देता है उस दिन उस जीव को सब कुछ प्राप्त करने का मूल मंत्र प्राप्त हो जाता है। कर्मकाण्ड और नियमित उपासना से स्वयं को ज्ञान बोध के लिए तैयार करिये और ब्रह्मतत्व को बिना भ्रम के एक आँख अर्थित अद्वैत भाव से समझिए निश्चित रुप से आपके जन्म का परम उद्देश्य पूर्ण होगा। आज शुक्रवार है करुणामयी महालक्ष्मी आप सभी पर अपनी करुणा और वात्सल्य रुप आर्शिवाद बरसायें। आपका जीवन शुभ व मंगलमय हो। ।।लक्ष्मी नारायण नमो न

Shani Mantra । शनि मंत्र

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आज न्यायमूर्ति शिव के अति प्रिय शनि देव के अधिपत्य में आने वाला शनिवार है। जीव इनके द्वारा दिये जाने वाले कठोर दण्डों से आतंकित और भयभीत रहता है लेकिन कभी इनके अच्छे पक्ष को समझने का प्रयास नहीं करता। शनि ग्रह सदैव उसी जीव को कष्ट देते है जो नियमों की अनदेखी करता है और सदैव पापाचार में लिप्त रहता है। इनका सबसे बड़ा शत्रु जीव के अन्दर पलने वाला अहंकार होता है। जब तक किसी भी व्यक्ति के अन्दर दम्भ व अहंकार बना रहता है यह उस व्यक्ति से शत्रुता का भाव निभाते है।  यह शनैः शनैः राशियों से भ्रमण करते हुए सभी एक ऊपर अपनी अवलोकनात्मक दृष्टि रखते है समय आने पर अच्छे कार्यों के लिए पारीतोषिक तो बुरे कार्यों के पीड़ाओं से भरा दण्ड भी देते है।  शनि ग्रह का ध्यान करने से व उनका पूजन शनिवार के दिन करने से उनके द्वारा दिये जाने वाले कष्टों में विशेष कमी आती है इसलिए यदि आप भी शनि साढ़े साती या फिर शनि ढैय्या से पीड़ित है तो सच्चे हृदय शनि शरणागत हो जाये आपका कल्याण होगा। ऊँ शं शनैश्चाराय नमः। आपका जीवन शुभ व मंगलमय हो। गुरु राहुलेश्वर भाग्य मंथन #shanimantra #shanivar #gururahuleshwar #sadeysati #rahul

Buddha Purnima 2020

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Vaishakha Purnima is also known as Buddha Purnima. On Vaishakha Purnima, Mahatma Buddha was born and also on this auspicious day, he attained Nirvana and achieved Buddhatva. Hence, this day has special importance. After leaving his home to attain the supreme heights of wisdom, he roamed around in forests for 7 years and during that period, he understood various aspects of life and did severe asceticism and soon after that, on the day of Vaishakha Purnima, in Bodh Gaya, Bihar, under the Bodhi Tree, he achieved Buddha Tatva and since then, this day has been known as Buddha Purnima and people following Buddhism started celebrating it as a spiritual festival. One Basic Mantra or an important composition is linked with Buddha and it is also said to be associated with Buddhism, which is as follows:- "Om Mani Padmay Hum" If we understand this mantra, then the meaning is deduced as 'Om, which is a reflection of truth, is shapeless and occupies the core of everything that exists,

Budha Purnima । बुध पूर्णिमा

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वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता हैं। वैशाख पूर्णिमा को ही महात्मा बुद्ध का जन्म भी हुआ था और इसी दिन उनका निर्वाण भी हुआ था और इसी शुभ दिन महात्मा बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति भी हुई थी इसलिए इस दिन का विशेष महत्व है। गृह त्यागने के पश्चात् ज्ञान के उच्चतम शिखर को प्राप्त करने के लिए सात वर्षों तक वनों में इधर उधर भटके और इस दौरान इन्होंने जीवन को समझा व कठोर साधना करी तत्पश्चात् वैशाख पूर्णिमा के दिन बोधगया जोकि बिहार में स्थित है वहाँ बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें बुद्ध तत्व का ज्ञान हुआ और तभी से इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा के रुप में जाना जानें लगा व बौध धर्म को मानने वाले लोग इसे एक आध्यात्मिक त्योहार के रुप में मनाने लगे। बुद्ध से एक मंत्र को मुख्य रुप से जोड़ा जाता है और यह कहा जाता है कि यह बौध धर्म से सम्बन्धित है जोकि इस प्रकार है. ॐ मणिपद्मे हुम् लेकिन यदि इस मंत्र को समझें तो इसका अर्थ है ॐ जो सत्य स्वरुप है जो निराकार है और इस पूरी सृष्टि के मूल में व्याप्त है वह एक दुर्लभ मणि अर्थात् आभूषण है जो इस सृष्टि के अन्य सभी आभूषणों का त्याग करने के पश्चात् धारण करने योग्य

Bhagwan Narsingh Jayanti । भगवान नरसिंह जयंती

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नरसिंह जयंती वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। हिंदू धर्म में इस जयंती का बहुत बड़ा महत्व है क्योंकि इस दिन प्रह्लाद की भक्ति की शक्ति और अटूट आस्था को साकार करने के लिए श्री हरि विष्णु के नरसिंह रुप का प्रादुर्भाव हुआ था। यह घटना उस समय के नास्तिकों के लिए भी एक आश्चर्यचकित करने वाली स्थिति थी और यदि आज के नास्तिक भी इससे कुछ सीख ले तो समझने वाली बात है कि शुद्ध भावना और सरलता ईश्वर को अपना बना लेती है। इस साल नरसिंह जयंती 6 मई (बुधवार) को है। पौराणिक धार्मिक मान्यताओं एवं धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु ने इस दिन अपने भक्त प्रहलाद को बचाने के लिए दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए आधे नर और आधे सिंह के रूप में नरसिंह अवतार लिया था। आज के दिन नरसिंह गायत्री मंत्र के जाप से भागवान नरसिंह प्रसन्न होते है और अपने भक्तों की समस्त इच्छाऐं पूरी करते है और शत्रु बाधा व रोगों से मुक्ति देते है। ॐ वज्रनखाय विद्महे तीक्ष्ण दंष्ट्राय धीमहि तन्नो नरसिंह प्रचोदयात । आप सभी को भक्त वत्सल भगवान नरसिंह की जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं। गुरु राहुलेश्वर भाग्य मंथन #na

Shri Ganeshaye Namah । श्री गणेशाय नमः

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आज बुधवार है और बुधवार का दिन विघ्ननाशक श्री गणेश को अति प्रिय होता है। इस दिन श्री गणेश के पूजन व ध्यान से विशेष शुभ फलों की प्राप्ति होती है। आईये हम सब मिलकर भगवान श्री गणेश का ध्यान करें व विश्व पर आयी इस विपत्ति रुपी विघ्न को शान्त करने की प्रार्थना करें। गुरु राहुलेश्वर भाग्य मंथन #shriganesh #gururahuleshwar #rahuleshwar #bhagyamanthan #श्रीगणेश #गुरुराहुलेश्वर #राहुलेश्वर #भाग्यमंथन #guruvichar #गुरुविचार

महाकाली बीज मंत्र । Mahakali Beej Mantra

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माँ काली का प्रादुर्भाव जगतजननी माँ भगवती दुर्गा जी से तब हुआ था जब असुरों ने पूरी सृष्टि को आतंकित किया हुआ था और धर्म पर अधर्म हावी होने लगा था। सृष्टि की अन्य सभी शक्तियाँ निस्तेज सी प्रतीत होती थी और रक्त बीज तेजी से बढ़ता ही जा रहा था तब भगवती दुर्गा जी से माँ महाकाली उत्पन्न हुई। माँ महाकाली हिन्दू धर्म की प्रमुख देवी है और कलयुग में जीवन्त रुप में विद्यमान है।  कुछ अज्ञानी लोग माता महाकाली के रुप को देखकर कई लोग भयभीय हो जाते है लेकिन जो उनके इस रुप को धारण करने की कथा जानते है वह उनकी करुणा और वात्सल्य भाव में सदैव डूबे रहते है। माता महाकाली का यह रुप प्रकृति के शत्रुओं का शत्रु है और उन लोगों के लिए यमराज है जो आसुरी कार्यों में लिप्त रहते है और अन्याय की नीति अपनाते है। सामान्य शब्दों में समझें तो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक ही काली अवतार है। जो लोग अच्छे और शुभ कार्यों में लिप्त रहते है और प्रकृति को नुकसान नही पहुँचाते माँ काली उनपर सदैव अपना आर्शिवाद बनायें रखती है। भगवती काली दसमहाविद्याओं में प्रथम स्थान पर हैं। काली देवी को आद्य महाविद्या भी कहा गया है। भगवती काली

Shiv Mantra । शिव मंत्र । अघोर मंत्र

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भगवान नीलकंठ महादेव इस सृष्टि से उत्पन्न कालकूट (हलाहल) विष हो या मनुष्य के अन्दर विकाररुपी विष हो सभी को आनंद से ग्रहण कर लेते है और शरणागत की रक्षा करते है। इस पूरी सृष्टि में इनसा कोई सौम्य और भोला भी नहीं और ढूढ़ने निकलोगे तो भयानक भी कोई नहीं। इनके डमरु की थाप सृष्टि का नाद है जो प्रत्येक जीव के हृदय में ध्वनि  प्रतीक रुप में वास करती है। इस ब्रह्माण्ड का प्रत्येक कण इसी नाद पर नृत्य करता प्रतीत होता है। ध्यानियों और सन्यासियों के लिए यह नाद प्राण शक्ति का उर्ध्वगमन कराने वाली है और गृहस्थों के लिए यह नाद अधोपतन करती हुई मैथुनी सृष्टि का विस्तार करने वाली है। वर्तमान समय में एक विषाणु  के कारण पूरी सृष्टि त्राहिमाम कर रही है ऐसे समय में सृष्टि के रक्षक, जिन्होंने सृष्टि रक्षा के लिए कालकूट विष को अपने कंठ में धारण किया था उनका ध्यान करेंगे और उनसे प्रार्थना करेंगे की हे प्रभू इस महामारी से पूरे विश्व को मुक्त करें।   ।। ॐ अघोरेभ्यो अथ घोरेभ्यो घोर घोरतरेभ्यः सर्वतः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररूपेभ्यः ।। अर्थः जो अघोर है, घोर है, घोर से भी घोरतर है और जो सर्वसंहारी रुद्ररुप ह

महामृत्युंजय मंत्र

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महामृत्युंजय मंत्र ("मृत्यु को जीतने वाला महान मंत्र") जिसे त्रयंबकम मंत्र भी कहा जाता है, यजुर्वेद के रूद्र अध्याय में, भगवान शिव की स्तुति हेतु की गयी एक वन्दना है। इस मन्त्र में शिव को 'मृत्यु को जीतने वाला' बताया गया है। यह गायत्री मन्त्र के समकक्ष हिंदू धर्म का सबसे व्यापक रूप से जाना जाने वाला मंत्र है। इस मंत्र के कई नाम और रूप हैं। इसे शिव के उग्र पहलू की ओर संकेत करते हुए रुद्र मंत्र कहा जाता है; शिव के त्रिनेत्रों की ओर इशारा करते हुए त्रयंबकम मंत्र और इसे कभी कभी मृत-संजीवनी मंत्र के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह कठोर तपस्या पूरी करने के बाद पुरातन ऋषि शुक्र को प्रदान की गई "जीवन बहाल" करने वाली विद्या का एक घटक है। ऋषि-मुनियों ने महा मृत्युंजय मंत्र को वेद का ह्रदय कहा है। चिंतन और ध्यान के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अनेक मंत्रों में गायत्री मंत्र के साथ इस मंत्र का सर्वोच्च स्थान है| जब जब सृष्टि पर कोई दैवीय आपदा या भयंकर आपदा आती है तब इस मंत्र के नियमित रुप से जाप करने पर रुष्ट प्रकृति भी शान्त हो जाती है। वर्तमान में पूरा विश्व कोरोना वायर